जेनोफोबिया यानी कि सेक्शुअल इंटीमेसी से डर। इसे इरोटोफोबिया भी कहते हैं। इस फोबिया में लोगों को सेक्शुअल एक्टिविटीज से डर लगता है। इसमें मरीज सेक्शुअल इंटीमेसी के दौरान पैनिक हो जाता है या बहुत ज्यादा डर जाता है। यह डर केवल सेक्शुअल इंटरकोर्स से हो सकता है या सभी प्रकार की सेक्शुअल गतिविधियों से। जेनोफोबिया से संबंधित दूसरे फोबिया भी हैं, जो इसके साथ हो सकते हैं। जैसे –
जिमनोफोबिया- इसमें लोगों को न्यूडिटी (खुद को या दूसरे को न्यूड देखने से) से डर लगता है।
काइटोफोबिया- इसमें लोगों को केवल सेक्शुअल इंटरकोर्स से डर लगता है।
हाफेफोबिया– इसमें लोगों को किसी दूसरे के टच किए जाने से डर लगता है।
जेनोफोबिया के कारण
जेनोफोबिया के कारण हर मरीज के लिए अलग हो सकते हैं। इसका उपचार करवाना बहुत जरूरी होता है। कई बार जेनोफोबिया सीवियर ट्रॉमा के बाद डेवलप होता है, तो कभी कल्चर अपब्रिंगिंग से भी। कई बार यह बॉडी इमेज, इनसिक्योरिटीज, मेडिकल कारणों के चलते भी लोग इस फोबिया से ग्रसित हो जाते हैं। आइए जानते हैं जेनोफोबिया के कुछ विशेष कारण।
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योनि का संकुचन (Vaginismus)
इस स्थिति में जब वजायनल पेनिट्रेशन किया जाता है तो योनि की मांसपेशियां अचानक सिकुड़ जाती हैं। इस स्थिति में इंटरकोर्स पेनफुल यहां तक कि असंभव हो जाता है। इस प्रकार का सीवियर और लगातार होने वाला दर्द सेक्शुअल इंटीमेसी के प्रति डर बैठा सकता है। इसके अलावा इरेक्टाइल डिसफंक्शन भी जेनोफोबिया का कारण बन सकता है। क्योंकि इसकी वजह से कई बार शर्मिंदगी और तनाव होता है। हालांकि इन दोनों स्थितियों का इलाज संभव है।
पास्ट सेक्शुअल एब्यूज
चाइल्ड एब्यूज और सेक्शुअल एब्यूज भी पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर का कारण बन सकता है। जो सेक्स और फिजिकल इंटीमेसी के प्रति नजरिए को चेंज करने का कारण हो सकता है और फोबिया का कारण बन सकता है। हालांकि, चाइल्ड एब्यूज का शिकार रहे सभी लोगों में जेनोफोबिया डेवलप हो ऐसा जरूरी नहीं है।
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रेप
रेप या सेक्शुअल असॉल्ट पीटीएसडी (पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर) और कई प्रकार के सेक्शुअल डिसफंक्शन का कारण बन सकता है। इसकी वजह से लोगों में सेक्स को लेकर डर पैदा हो सकता है।
परफॉर्मेंस एंग्जायटी
कई बार यह परफॉर्मेंस एंग्जायटी के कारण भी हो सकता है, खासकर उन लोगों में जिनके पास सेक्शुअल एक्सपीरियंस की कमी होती है और जो लंबे समय तक सेक्स से दूर रहते हैं। इसके साथ ही दूसरे फोबिया से ग्रसित लोगों को भी ये फोबिया होने के चांस बढ़ जाते हैं।
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जेनोफोबिया के लक्षण
जिन लोगों को सेक्स से डर लगता है, वे अक्सर पैनिक अटैक का अनुभव करते हैं। ये पैनिक अटैक भयानक और परेशान करने वाले हो सकते हैं। ये लक्षण ज्यादातर अचानक और बिना किसी पूर्व चेतावनी के आते हैं। नीचे जेनोफोबिया के कुछ शारीरिक लक्षणों की जानकारी दी जा रही है।
- पसीना आना
- सिहरन
- बॉडी के गर्म होने का अहसास या ठंड लगना
- सांस की तकलीफ या सांस लेने में कठिनाई
- घुटन होना
- तेजी से दिल धड़कना (टैचीकार्डिया)
- सीने में दर्द या जकड़न
- पेट में बटरफ्लाई का एहसास
- जी मिचलाना
- सिर दर्द और चक्कर आना
- बेहोशी का एहसास होना
- सुन्नता
- मुंह सूखना
- बार-बार टॉयलेट जाने की जरूरत महसूस होना
- कान बजना
- भ्रम या भटकाव
- रक्तचाप में वृद्धि
साइकोलॉजिकल लक्षण
सामान्यत: जेनोफोबिया से पीड़ित व्यक्ति में ये लक्षण तब दिखाई देते हैं, जब वह सेक्शुअल एक्टिविटीज में शामिल होने वाला होता है।
- नियंत्रण खोने की भावना
- बेहोशी छाना
- मेरा नुकसान हो सकता है ऐसी भावनाएं आना
- अपराधबोध, शर्मिंदगी और खुद को दोष देना
- दुख और निराशा का अनुभव
- खुद को अलग-थलग महसूस करना
- भ्रम और ध्यान केन्द्रित करने में कठिनाई
- गुस्सा और चिड़चिड़ेपन का एहसास
- डर और चिंता
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जेनोफोबिया का ट्रीटमेंट
जो लोग जेनोफोबिया यानी सेक्स के डर से पीड़ित हैं उनके लिए हमेशा ट्रीटमेंट की जरूरत नहीं होती है। वे इससे बचने के लिए डर के कारण को अवॉइड कर सकते हैं। यह उन्हें प्रॉब्लम पर कंट्रोल की भावना का एहसास कराता है, लेकिन हमेशा सेक्स को अवॉइड करना संभव और सही नहीं है। इसलिए प्रोफेशनल हेल्प की मदद लेनी चाहिए। इससे मरीज सेक्स के डर से बाहर आ सकता है।
वैसे तो सभी फोबिया का इलाज संभव है, लेकिन कोई एक ट्रीटमेंट उपलब्ध नहीं है जिसकी गैरेंटी हो कि यह काम करेगा ही। यह मरीज की स्थिति और फोबिया की कंडिशन पर निर्भर करता है। ऐसे कई मामले हैं जिनमें ट्रीटमेंट कॉम्बिनेशन प्रभावी साबित हुए हैं। हमेशा ध्यान रखें किसी प्रकार का ट्रीटमेंट बिना डॉक्टर की सलाह के ना लें। जेनोफोबिया के लिए निम्न ट्रीटमेंट का सहारा लिया जा सकता है।
जेनोफोबिया के लिए टॉकिंग ट्रीटमेंट
टॉकिंग ट्रीटमेंट और टॉकिंग थेरेपी जिसमें काउंसलिंग की जाती है जेनोफोबिया के लिए बेहद प्रभावी है। इस थेरेपी में प्रोफेशनल्स, मरीज के विचार, भावनाओं और व्यवहार के बारे में बात करते हैं। वे परेशानी को समझने और उसका हल निकालने में मदद करते हैं।
सीबीटी ट्रीटमेंट
सीबीटी यानी कॉग्निटिव विहेवियरल थेरेपी, ये ट्रीटमेंट इस अवधारणा पर काम करता है कि हम लगातार क्या अनुभव कर रहे हैं और क्या हमारे व्यवहार को लगातार प्रभावित कर रहा है। जैसे कि अगर कोई जेनोफोबिया का अनुभव कर रहा है तो इस सीबीटी की मदद से वह यह पहचान सकता है कि सेक्स के अनुभव से होने वाला डर और चिंता वास्तविकता का सटीक चित्रण है या नहीं।
मेडिकेशन
मेडिसिन का उपयोग डॉक्टर की सलाह के बिना नहीं करना चाहिए। फोबिया के लिए जनरल मेडिसिन रिकमंड नहीं की जाती है और ये शॉर्ट टर्म रिलीफ ही देती हैं। एंटीडिप्रेसेंट और बीटा ब्लॉकर दवाओं का उपयोग डर और तनाव के लिए किया जाता है।
इस प्रकार जेनोफोबिया का इलाज कराया जा सकता है। उम्मीद है कि यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित होगा और आपको जेनोफोबिया से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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