अश्विनी भदौरिया / जयपुर। फिल्म पानीपत को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। बुधवार को भी राजधानी के किसी भी सिनेमाघर में फिल्म का प्रदर्शन नहीं हुआ। इधर, फिल्म निर्देशक आशुतोष गोवरिकर ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर महाराजा सूरजमल जाट के चरित्र को फिल्म से हटाने की बात कही। गुरुवार को भी फिल्म राज्य सरकार की अनुमति के बाद ही सिनेमाघरों में चलाई जाएगी।
वहीं जाट महासभा फिल्म को प्रतिबंधित करने की मांग पर अड़े हैं। राजस्थान जाट महासभा की बुधवार को बैठक हुई। इसमें फिल्म को पूरे देश में बंद कराने का निर्णय लिया गया। प्रदेश कार्यालय में महासभा के प्रदेश अध्यक्ष राजाराम मील की अध्यक्षता में हुई बैठक में वक्ताओं ने कहा कि फिल्म में इतिहास के साथ बहुत ज्यादा छेड़छाड़ और फिल्म को बहुत ज्यादा नाटकीय बनाने के लिए काल्पनिक दृश्यों का सहारा लिया गया है। महाराजा सूरजमल को जैसा फिल्म में दिखाया गया है, वह उनकी वास्तविक कद काठी से नहीं मिलता।
यदि फिल्म राजस्थान के अलावा किसी अन्य राज्य में दिखाई जाती है, तो देश का जाट समाज अन्य समाजों को साथ में लेकर फिल्म का पुरजोर तरीके से विरोध करेंगे। बैठक में करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष महिपाल मकराना, युवा जाट महासभा के अध्यक्ष कुलदीप ढेवा, कर्नल रामकुमार सिंह बिजारणिया, महेन्द्र सिंह आदि उपस्थित थे।
उधर पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने कहा कि फिल्म से महाराजा सूरजमल से संबंधित केवल एक सीन हटाने से जाट समुदाय का आक्रोश कम नहीं होगा। इस फिल्म में महाराजा की वेशभूषा, भाषा और व्यक्तित्व का चित्रण गलत तरीके से किया गया है, जो जाट समुदाय को स्वीकार्य नहीं है। मैं सरकार से आग्रह करता हूं कि जनता की भावना को देखते हुए इस फिल्म को तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित करें।
अश्विनी भदौरिया / जयपुर। फिल्म पानीपत को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। बुधवार को भी राजधानी के किसी भी सिनेमाघर में फिल्म का प्रदर्शन नहीं हुआ। इधर, फिल्म निर्देशक आशुतोष गोवरिकर ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर महाराजा सूरजमल जाट के चरित्र को फिल्म से हटाने की बात कही। गुरुवार को भी फिल्म राज्य सरकार की अनुमति के बाद ही सिनेमाघरों में चलाई जाएगी।
वहीं जाट महासभा फिल्म को प्रतिबंधित करने की मांग पर अड़े हैं। राजस्थान जाट महासभा की बुधवार को बैठक हुई। इसमें फिल्म को पूरे देश में बंद कराने का निर्णय लिया गया। प्रदेश कार्यालय में महासभा के प्रदेश अध्यक्ष राजाराम मील की अध्यक्षता में हुई बैठक में वक्ताओं ने कहा कि फिल्म में इतिहास के साथ बहुत ज्यादा छेड़छाड़ और फिल्म को बहुत ज्यादा नाटकीय बनाने के लिए काल्पनिक दृश्यों का सहारा लिया गया है। महाराजा सूरजमल को जैसा फिल्म में दिखाया गया है, वह उनकी वास्तविक कद काठी से नहीं मिलता।
यदि फिल्म राजस्थान के अलावा किसी अन्य राज्य में दिखाई जाती है, तो देश का जाट समाज अन्य समाजों को साथ में लेकर फिल्म का पुरजोर तरीके से विरोध करेंगे। बैठक में करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष महिपाल मकराना, युवा जाट महासभा के अध्यक्ष कुलदीप ढेवा, कर्नल रामकुमार सिंह बिजारणिया, महेन्द्र सिंह आदि उपस्थित थे।
उधर पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने कहा कि फिल्म से महाराजा सूरजमल से संबंधित केवल एक सीन हटाने से जाट समुदाय का आक्रोश कम नहीं होगा। इस फिल्म में महाराजा की वेशभूषा, भाषा और व्यक्तित्व का चित्रण गलत तरीके से किया गया है, जो जाट समुदाय को स्वीकार्य नहीं है। मैं सरकार से आग्रह करता हूं कि जनता की भावना को देखते हुए इस फिल्म को तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित करें।