कोरोना महामारी ने लोगों की मेंटल हेल्थ को कितना प्रभावित किया है, ये बात किसी से छुपी नहीं है। लॉकडाउन भले ही अब उस तरह का नहीं है, लेकिन लोगों में मानसिक तनाव अभी भी बना हुआ है। अगर देखा जाए, तो कोरोना काल से लोगों ने अपनी मेंटल हेल्थ की तरफ ध्यान देना शुरू किया है। शरीरिक स्वास्थ्य की तुलना में मानसिक स्वास्थ्य के बारे में कम ही बात की जाती है, लेकिन यह भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना की मानसिक स्वास्थ्य और इस कोरोना काल ने मानसिक स्वास्थ्य की अहमियत लोगों को बहुत अच्छी तरह समझा दी है। इस बारे में पीजीआई हॉस्पिटल के न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर राजकुमार का कहना है कि इस महामारी के दौरान जो लोग मानसिक रूप से स्वस्थ और मजबूत थे वो न सिर्फ बीमारी से जल्दी उबरने में कामयाब रहें, बल्कि मुश्किल हालात में भी खुद को संभाल लिया। इसके विपरीत बहुत से ऐसे लोग भी हैं जो इस दौरान मेंटल स्ट्रेस और डिप्रेशन का शिकार हो गए। किसी भी स्थिति में खुद को मजबूत बनाए रखने कि लिए आपको अपने मेंटल हेल्थ को प्राथमिकता देनी होगी।
कोराेना के दौरान लोगों की मेंटल हेल्थ को लेकर पीजीआई हॉस्पिटल,लखनऊ के न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर राजकुमार से हुई बातचीत-
कोरोना महामारी के दौरान मेंटल स्ट्रेस ने लोगों को कितना प्रभावित किया है?
वैसे तो मेंटल स्ट्रेस कई कारणों से हो सकता है। तनाव उस ही स्थिति में होता है, जब किसी घटना या परिस्थिति के कारण और शारीरिक और मानसिक रूप से परेशान, चिंतित हो जाते हैं और हमेशा दुखी/निराश रहने लगते हैं तो इस स्थिति को मेंटल स्ट्रेस कहते हैं। ऐसी स्थिति में आपका दिमाग स्थिर नहीं रहता। पल-पल मूड स्विंग होता रहता है, कभी डर तो कभी गुस्से की भावना आप पर हावी हो जाती है। तनाव की यह स्थिति यदि लंबे समय तक बनी रहे तो इससे कई तरह की शारीरिक और मानसिक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। लॉकडाउन से अब तक डिप्रेशन और हाई ब्ल्ड प्रेशर के शिकार मरीजों की संख्या काफी बढ़ी है। सबसे बड़ा लोगों में डर ये बना हुआ है कि कब वो इसके शिका र न हो जाएं। इसके अलावा लोगों की लाइफस्टाइल भी काफी प्रभावित हुई है।
लॉकडाउन से अब तक लोगों की मेंटल हेल्थ में क्या पहले की तुलना में कोई सुधार आया है?
ये अभी पूरी तरह से नहीं कह सकते हैं, लेकिन हां ये बात जरूर है कि लोग पहले की तुलन में अपनी मेंटल हेल्थ को लेकर सजग हुए हैं यानी कि ध्यान देने लगे हैं। जिस वजह से लोगों की मेंटल हेल्थ पहले की तुलना में कुछ मामलों में अच्छा हुआ है। लेकिन कई मामलों में इसके तनावपूर्ण परिणाम भी देखने को मिले हैं, जैसे कि जब से ये व्रकफ्रॉम होम का चलन शुरू हुआ है, इससे भी कई लोगों के लिए मेंटल स्ट्रेस बढ़ा है। व्रक फ्रॉम होम के दौरान लोगों की मेंटल हेल्थ काफी प्रभावित हुई है, पहले लोग एक समय के बाद फ्री हो जाते थें, लेकिन अब ऐसा नहीं हो पाता है। काम के बहाने लोग बाहर निकलते थें, पर अब उनकी फिटेस पर भी असर पड़ा है।
कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन ने लोगों के मेंटल हेल्थ को कितना प्रभावित किया?
यकीनन लॉकडाउन ने स्ट्रेस और डिप्रेशन को और बढ़ा दिया, लेकिन साथ ही यह सबक भी सिखाया कि इंसान को अपनी मेंटल हेल्थ पर सबसे पहले ध्यान देने की जरूरत है। लॉकडाउन के दौरान मानसिक बीमारियों में काफी बढोतरी देखी गई। इंडियन साइकियाट्री सोसाइटी (आईपीएस) के सर्वे के मुताबिक, लॉकडाउन लगने के बाद से मानसिक बीमारियों के मामले 20 फीसदी बढ़ गए। यानी की औसतन हर पांचवां भारतीय मानसकि रूप से बीमार हो गया। बच्चे घर की चार दीवारी में कैद हो गए, परिवार पर आर्थिक संकट आया, कई लोगों की नौकरी चली गई। यकीनन यह बहुत मुश्किल दौर रहा लोगों के लिए, लेकिन इस मुश्किल में भी जो मानसिक रूप से मजबूत बने रहे, वह धीरे-धीरे ही सही अपनी जिंदगी पटरी पर लाने में सफल रहे। जितना ध्यान आप अपनी बॉडी की फिटनेस पर देते हैं, उतना ही या कहा जाए कि उससे ज्यादा ध्यान मेंटल हेल्थ पर देने की जरूरत है।
मेंटल स्ट्रेस की वजह से किस तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं?
यदि कोई व्यक्ति लंबे समय तक मानसिक तनाव का शिकार रहता है तो इसे कई तरह की शारीरिक और मानसिक समस्याएं हो सकती हैं जैसे-
- डिप्रेशन और एंग्जाइटी
- नींद न आना
- ऑटोइम्यून डिसीज
- पाचन की समस्या
- स्किन से जुड़ी परेशानी जैसे एग्जिमा
- दिल की बीमारी
- वजन संबंधी समस्या
- रिप्रोडक्टिव प्रॉब्लम
- सोचने और याद रखने संबंधी समस्या
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मेंटल स्ट्रेस के क्या लक्षण है जिससे किसी को यह पता चले की वह मानसिक तनाव का शिकार है?
मेंटल स्ट्रेस के कई भावनात्मक और शारीरिक लक्षण है। हालांकि शुरुआत में इसे समझ पाना मुश्किल है, लेकिन जब तनाव बहुत बढ़ने लगता है तो आपको कई तरह के लक्षण दिख सकते हैं, ऐसे में इसे नजरअंदाज बिल्कुल न करें और तुरंत डॉक्टर की सलाह लें।
- याददाशत संबंधी समस्या
- ध्यान केंद्रित करने में परेशानी
- सही जजमेंट न कर जाना
- सिर्फ नकारात्मक चीजे देखना
- हमेशा चिंचिच रहना
- डिप्रेशन या हमेशा उदास रहना
- एंग्जाइटी
- मूंड स्विंग होना, गुस्सा और चिड़चिड़ापन
- अकेलापन
- शरीर में दर्द
- हार्ट रेट बढ़ना
- छाती में दर्द
- बार-बार सर्दी-खांसी होना
- सामान्य से ज्यादा या कम खाना
- बहुत ज्यादा या कम सोना
- शराब, सिगरेट या दूसरे ड्रग का नशा
- नर्वस रहना आदि
कुछ चीजों को लेकर मैं क्यों तनावग्रस्त हो जाता हूं?
अलग-अलग परिस्थितियों में आप कितना तनाव लेते हैं यह कई कारकों पर निर्भर करता है-
- हालात के प्रति आपका नजरिया कैसा है। यह एक दिन में नहीं बल्कि आपके पिछले अनुभवों पर आधारित होता है, आपका आत्मविश्वास और सोचने का तरीका। जैसे आप किसी भी हालात में पहले पॉजिटिव तरीके से सोचते हैं या निगेटिव।
- उस हालात से निपटने का आपका अनुभव कैसा रहा है।।
- भावनात्मक रूप से आप तनावपूर्ण माहौल को लेकर कितने लचीले हैं।
- उस वक्त आप पर अन्य तरह का कितना दबाव था।
- आपको परिवार और दोस्तों का कितना सहयोग मिला।
हर व्यक्ति अलग होता है, इसलिए हर हालात का सामना वह एक तरीके से नहीं कर सकता। जो हालात किसी के लिए बहुत सामान्य होते है वही दूसरे के लिए तनावपूर्ण हो सकता है। जैसे लोगों के सामने भाषण देने में आपको कोई परेशानी नहीं होती और आप 100 लोगों के बीच भी पूरे आत्मविश्वास के साथ बोल सकते हैं, लेकिन कुछ लोगो को स्टेज फियर होता हैं। इनके लिए तो 10 लोगों के सामने भी भाषण देना बहुत मुश्किल होता है और इस हालात के बारे में सोचक ही वह तनावग्रस्त हो जाते हैं।
किसी तरह की चीजे मेंटल स्ट्रेस के लिए जिम्मेदार हो सकती हैं?
तनाव के लिए कोई एक कारण जिम्मेदार नहीं होता है, यह कई कारणों से हो सकता है। कई बार यह ऐसी किसी घटना की वजह से होता है जिसे टाला नहीं जा सकता।
निजी कारण
- चोट
- प्रेग्नेंसी या पैरेंट बनना
- लंबे समय से चली आ रही स्वास्थ्य समस्या
- कोई जटिल इवेंट आर्गनाइज करना जैसे ग्रुप हॉलिडे
- हर दिन के काम जैसे ट्रैवलिंग या घर के काम
- शादी करना या पार्टनर से ब्रेकअप
- पार्टनर, सिबलिंग, दोस्त या बच्चों के साथ अच्छा रिश्ता न होना
नौकरी और पढ़ाई
- नौकरी छूटना
- बहुत समय तक बेरोजगार रहना
- रियाटर होना
- परीक्षा या डेडलाइन
- मुश्किल काम
- नई नौकरी शुरू करना
हाउसिंग से जुड़ी समस्या
- रहने की स्थिति अच्छी न होना, सुरक्षा की कमी
- रहने के लिए घर न होना
- पड़ोसियों के साथ समस्या
आर्थिक
- पैसों की तंगी
- लोन
- गरीबी
इनमें से कोई एक या अधिक कारण तनाव के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं।
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क्या खुशी के पल भी मानसिक तनाव के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं?
आमतौर पर ऐसा होता नहीं है, मगर कुछ लोग जो बदलाव या नई जिम्मेदारियों के लिए खुद को मानसिक रूप से तैयार नहीं कर पाते हैं, अचानक जीवन में कुछ नया होने पर तनावग्रस्त हो जाते हैं। जैसे शादी करना या बच्चे का आना खुशी के पल है, मगर कई लोग इन हालात में भी तनाव का शिकार हो जाते हैं। प्रेग्नेंसी के बाद महिलाएं पोस्ट पार्टम डिप्रेशन का शिकार हो जाती हैं।
नए साल पर अपने मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने के लिए मुझे क्या करना चाहिए?
नए साल के मौके पर आप हर बार नए रेज्यूलोशन बनाते हैं, तो इस बार मेंटल हेल्थ का रेज्यूलोशन बनाइए। इसके लिए आपको न सिर्फ अपनी लाइफस्टाइल, बल्कि व्यवहार में भी कुछ बदलाव लाने होंगे।
भविष्य में होने वाले जरूरी बदलाव
सेल्फ एक्सेपटेंस है जरूरी – यानी आप जैसे हैं उसे वैसे ही स्वीकार करिए। कई बार दूसरों की तरह बनने की कोशिश में इंसान तनाव का शिकार हो जाता है। खुद से प्यार करना और खुद को अहमियत देना सीखिए। अगर पिछले साल आपने अपने लुक और फिटनेस को इंप्रूव करने का रेज्यूलोशन लिया था, तो इस बार खुद को स्वीकारना और प्यार करना सीखिए।
फिजिकल एक्टिविटी है जरूरी- मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों एक दूसरे से जुड़े हैं और एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं। इसलिए रोजाना कम से कम आधे घंटे की कसरत या वॉक बहुत जरूरी है। यदि कसरत नहीं करना चाहते तो अपना पसंदीदा कोई गेम खेले, फिटनेस क्लास जॉइन कर ले। इससे शरीर और मन दोनों स्वस्थ रहेंगे।
जो मिला है उसी में खुश रहना सीखिए- रिसर्च कहती है कि जो व्यक्ति आभार व्यक्त करता है यानी जो भी मिला है उसी में खुश रहता है तो ऐसा इंसान चुनौतियों का आसानी से सामना कर लेता है। और हमेशा खुश और संतुष्ट रहने से मानसिक सेहत भी अच्छी रहती है। ऐसे लोग आशावादी होते हैं और हमेशा पाजिटिव चीजों पर फोकस करते हैं। इसलिए आप भी आभार जताना सीख जाइए।
अपना ख्याल रखें- याद रखिए अपना ख्याल रखना स्वार्थ नहीं है, बल्कि मानसिक सेहत ठीक रखने के लिए सेल्फ केयर बहुत जरूरी है। जो भी काम आपको पंसद आए वह करिए या जिससे आपको सुकून मिले जैसे हॉट बाथ लेना, फिल्म देखना, परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताना, कोई किताब पढ़ना, पेंटिंग करना या म्यूजिक सुनना।
हेल्दी फूड- आप जो खाते हैं उसका असर न सिर्फ आपके शारीरिक, बल्क मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। हालांकि जब आप लो फील कर रहे हो तो थोड़ी सी चॉकलेट खाने में कोई बुराई नहीं हैं, लेकिन बाकी समय इस बात का ध्यान रखना बहुत जरूरी है कि आप हेल्दी और संतुलन डायट लें। तो इस बार नए साल पर हेल्दी खाने का नियम बनाइए।
सोशल मीडिया से दूरी है जरूरी- सोशल मीडिया अपनों से कनेक्ट होने का अच्छा जरिया है, लेकिन आप यदि इस पर ज्यादा समय बिताने लगते हैं तो आपके मेंटल स्ट्रेस का कारण बन जाता है। बार-बार आने वाले नोटिफिकेशन और लाइक्स देखने की चाहत आपको मानसिक रोगी बना सकती है। इसलिए बेहतर होगा कि नए साल पर खुद से वादा करें कि आप सोशल मीडिया से दूर रहेंगे, पूरी तरह न सही, लेकिन बहुत कम समय के लिए इसे देखेंगे।
इन बातों का ध्यान रखकर आप आने वाले साल में मेंटली फिट खुद को रख सकते हैं। इसके अलावा मेंटली और शरीरिक फिट रहने के लिए अपनी लाइफस्टाइल को हमेशा अच्छा रखें।
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