जानिए आखिर कब सेक्स मजा नहीं बल्कि बन जाती है सजा ?

Published:Nov 30, 202309:55
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मेन्टल और मोरल हेल्थ की ही तरह सेक्शुअल हेल्थ भी बेहद जरूरी है। यह आपकी जिंदगी में ताजगी और एक्ससाइटमेंट लेकर आती है और आपको स्ट्रेस से दूर रखती है। सेक्शुअल हेल्थ का नाम लेते ही कुछ लोग मुंह बना सकते हैं या फिर इस विषय पर बात करना भी पसंद नहीं करते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि सेक्शुअल हेल्थ पर ध्यान न देने से शरीर को कई बीमारियां घेर सकती हैं। अक्सर लोगों के पास सेक्शुअल हेल्थ के बारे में अधिक जानकारी मौजूद नहीं होती है। असुरक्षित सेक्स एक साथ कई बीमारियां लेकर आता है। सेक्शुअल हेल्थ को बेहतर बनाने के लिए पहले इस बारे में जानना जरूरी है कि सेक्शुअल हेल्थ से कौन सी समस्याएं जुड़ी हुई हैं। सेक्शुअल हेल्थ से जुड़ी समस्याओं के लिए कौन-कौन से डायग्नोसिस और टेस्ट्स मौजूद हैं? इन बातों के बारे में जरूरी जानकारी आपकी सेक्शुअल हेल्थ को हेल्दी बना सकती है। इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको अच्छी सेक्स लाइफ के लिए सेक्स टिप्स, सेक्शुअल हेल्थ के लिए सही डायट, सेक्शुअल फिटनेस के लिए एक्सरसाइज, अच्छी लाइफस्टाइल का सेक्स लाइफ पर असर आदि बातों के बारे में जानकारी देंगे। जानिए हेल्दी सेक्शुअल लाइफ के बारे में।

 हेल्दी सेक्शुअल लाइफ (Healthy sexual life) का क्या है मतलब?

हेल्दी सेक्स हेल्दी रिलेशनशिप की पहचान होता है। जो लोग सेक्स को एंजॉय नहीं कर पाते हैं या फिर सेक्स के दौरान किसी प्रकार की समस्या का एहसास करते हैं, उनके लिए सेक्स बोरियत भरा एहसास हो सकता है। यौन जीवन में पुरुष और महिलाओं की एक-दूसरे से अलग प्रकार की एक्सपेक्टेशन होती हैं। हर पुरुष और महिला एक-दूसरे की भावना का ख्याल रखते हुए सेक्स एंजॉय करते हैं, तो इसे हेल्दी सेक्शुअल लाइफ से जोड़कर देखा जाएगा। हेल्दी सेक्स लाइफ अचीव करने के लिए आपको उन गलतियों को दोहराना बंद करना होगा, जो आप अब तक करते आएं हैं। सेक्स के दौरान महिला और पुरुष, दोनों से ही गलतियां हो सकती हैं। अगर गलतियों को सही समय पर सुधार लिया जाए, तो समय रहते आप हेल्दी सेक्स लाइफ अचीव कर सकते हैं। हेल्दी सेक्स लाइफ को अचीव करने के लिए आप निम्न बातों पर ध्यान दे सकते हैं।

  • फोरप्ले को बेकार न समझें। महिलाओं को फोरप्ले बहुत पसंद आता है। अगर पुरुष इससे बचेंगे, तो सेक्स लाइफ पर बुरा असर होगा।
  • जल्दबाजी में सेक्स करने की कोशिश न करें।
  • पार्टनर से उसकी पसंद और न पसंद के बारे में पूछें।
  • सेक्स के समय प्रोटेक्शन का ध्यान जरूर रखें।
  • सेक्स हाइजीन के बारे में जानकारी हासिल करें।
  • किसी प्रकार की सेक्स प्रॉब्लम होने पर उसे न छिपाएं बल्कि पार्टनर को बताएं।

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सेक्शुअल हेल्थ से जुड़ी समस्याएं (Sexual Health Issues) क्या हैं?

सेक्शअल हेल्थ से जुड़ी कई समस्याएं आपको परेशान कर सकती हैं। सेक्शुअल हेल्थ से जुड़ी समस्याओं में क्लैमाइडिया (chlamydia),सिफलिस (syphilis), गोनोरिया (Gonorrhea), जेनेटल हर्पीस (Genital Herpes), एड्स(HIV/AIDS) आदि बीमारियां हो सकती हैं। बैक्टीरिया, वायरस या फिर फंगल इन्फेक्शन के कारण फैलने वाली इन बीमारियों पर यदि ध्यान न दिया जाए, तो पुरुष या महिला को गंभीर समस्या का सामना करना पड़ सकता है। जानिए सेक्शुअल हेल्थ से जुड़ी समस्याओं के बारे में।

 क्लैमाइडिया (chlamydia)

क्लैमाइडिया (chlamydia) सेक्शुअल हेल्थ से जुड़ी एक समस्या है। क्लैमाइडिया का इन्फेक्शन बैक्टीरिया के कारण होता है। यौन जनित बीमारी क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस बैक्टीरिया (chlamydia trachomatis) के कारण होती है। प्रेग्नेंट महिला से ये इन्फेक्शन होने वाले बच्चे में भी पहुंच सकता है। क्लैमाइडिया का संक्रमण होने पर यूरिन करते समय जलन महसूस हो सकती है। क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस बैक्टीरिया पेल्विक ऑर्गन को भी नुकसान पहुंचाने का काम करता है। समय पर बीमारी का इलाज करने से बीमारी को खत्म किया जा सकता है।

क्लैमाइडिया (chlamydia) के लक्षण

  • पेट के निचले हिस्से में पेन होना
  • सेक्स के दौरान पेन
  • बुखार
  • शरीर में ऐंठन का एहसास
  • यूरिन करते समय दिक्कत
  • डिस्चार्ज की समस्या
  • आंखों में कंजंक्टिवाइटिस की समस्या

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सिफिलिस (Syphilis) रोग

सिफिलिस एसटीडी (STD) यानी यौन संचारित रोग है। सिफिलिस संक्रमण बैक्टीरिया के कारण फैलता है। सिफिलिस की बीमारी सेक्शुअल कॉन्टेक्ट से फैलती है। ये रेक्टम, माउथ और सेक्शुअल कॉन्टेक्ट से फैलता है। ये स्किन और म्युकस मेंबरेन कॉन्टेक्ट से फैलता है। अगर समय पर इस बीमारी का इलाज न कराया जाए, तो ये ब्रेन, हार्ट और अन्य ऑर्गन को डैमेज कर सकता है। सिफिलिस की बीमारी प्रेग्नेंट महिला से उसके बच्चे को भी हो सकती है।सिफिलिस का संक्रमण होने पर गुप्तांगों में दर्द रहित घाव हो जाता है।

सिफिलिस (Syphilis) संक्रमण के लक्षण

  • सिर दर्द
  • बुखार,
  • भूख न लगना
  • कमर में दर्द की समस्या
  • जोड़ों का दर्द की समस्या
  • गुप्तांगों पर दानें निकलना
  • मुंह पर फुंसिया या लाल चकत्ते
  • कमजोरी और थकान का एहसास

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  गोनोरिया (Gonorrhea) इन्फेक्शन

गोनोरिया (Gonorrhea) यौन संचारित संक्रमण (एसटीआई) है। गोनोरिया संक्रमण बैक्टीरिया के कारण फैलता है। गोनोरिया पुरुषों के साथ ही महिलाओं को भी हो सकता है। गोनोरिया अनसेफ सेक्स के कारण होता है। गोनोरिया की बीमारी ओरल सेक्स, एनल सेक्स या फिर वजानल सेक्स कारण फैल सकता है। गोनोरिया से संक्रमित व्यक्ति सेक्स के माध्यम से बीमारी फैलने का काम कर सकता है। संक्रमित व्यक्ति का सेक्स टॉय यूज करने से भी ये बीमारी फैल सकती है। इस बीमारी का शिकार पुरुष ज्यादा होते हैं। गोनोरिया के कारण आंखों में भी संक्रमण फैल सकता है। ये एनल, यूरेथ्रा, थ्रोट को संक्रमित कर सकता है। महिलाओं के सर्विक्स को भी गोनोरिया के कारण नुकसान पहुंच सकता है।

गोनोरिया के लक्षण

  • यूरिन के दौरान जलन
  • योनी से सफेद या पीले रंग का पानी निकलना
  • अंडकोष में दर्द होना
  • योनी से बदबू आना

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जेनिटल हर्पीज (Genital Herpes)

जेनिटल हर्पीज सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन (STI)है। ये जननांग में होने वाला दाद है, जो कि दर्द का कारण बनता है। 14 साल से 49 साल के करीब 16 प्रतिशत लोगों को ये बीमारी होती है। हर्पीज सिंप्लेक्स वायरस ( herpes simplex virus) के कारण जेनिटल हर्पीज इन्फेक्शन होता है। ये वायरस म्युकस मेंबरेन की हेल्प से शरीर में घुसता है। ये वायरस नाक, मुंह और जननांग में पाया जा सकता है। ये वायरस मुख्य रूप से सलाइवा, सीमन और वजायनल सिकरीशन में मौजूद होता है। जननांग पर छाले और जननांग के आसपास खुजली, सिरदर्द, यूरिन पास करते समय दर्द होना इस संक्रमण के लक्षण हैं।

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ट्राइकोमोनिएसिस (Trichomoniasis) रोग

ट्राइकोमोनिएसिस यौन संचारित रोग है। ये इन्फेक्शन महिलाओं में बेहद आम है। पुरुषों के मुकाबले ये संक्रमण महिलाओं में अधिक होता है। ये संक्रमण अनसेफ सेक्स के कारण होता है। ओरल, वजायनल और एनल सेक्स के माध्यम से ये संक्रमण फैलता है। इस बीमारी के लक्षण कई बार नहीं दिखाई पड़ते हैं। कुछ महिलाओं को वजायना से बदबू, यूरिन पास करते समय जलन, पेट के निचले हिस्से में दर्द, जननांग में खुजली का एहसास हो सकता है।

पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज (Pelvic Inflammatory Disease)

पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज फीमेल रिप्रोडक्टिव ऑर्गन का संक्रमण है। सेक्शुअली ट्रांसमिटेड बैक्टीरिया वजायना से यूटरस में फैलता है। ये संक्रमण फैलोपियन ट्यूब या ओवरी तक पहुंच सकता है। पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज होने पर महिलाओं को पेल्विक ऑर्गन में दर्द का एहसास होता है। संक्रमण के कारण महिलाओं को कंसीव करने में भी समस्या हो सकता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज मौत का कारण भी बन सकती है। पीठ के निचले हिस्से में दर्द का एहसास, डिस्चार्ज से गंध आना, थकान का एहसास, असामान्य पीरियड्स, यूरिन बार-बार आना, सेक्स के बाद ब्लीडिंग आदि बीमारी के लक्षण के तौर पर दिख सकते है।

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 एचआईवी या एड्स ( HIV/AIDS) से होने वाला संक्रमण

ह्यूमन इम्यूनो डेफिशिएंसी वायरस यानी एचआईवी शरीर की प्रतिरोधक क्षमता पर वार करता है। इस वायरस के कारण एड्स की बीमारी हो जाती है। एड्स की बीमारी को पूरी तरह से खत्म करने का अभी तक कोई भी ट्रीटमेंट उपलब्ध नहीं है। इस बीमारी के लक्षणों को कंट्रोल किया जा सकता है। यह यौन संचारित रोग है। एड्स जानलेवा बीमारी है। इस बीमारी से बचने के लिए बीमारी के बारे में जानकारी होना बहुत जरूरी है। असुरक्षित यौन संबंध के कारण ये बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलती है। अगर यौन संबंध बनाते समय सावधानी रखी जाएं, तो इस बीमारी से बचा जा सकता है।

एचआई के संक्रमण के कारण व्यक्ति में निम्न लक्षण दिखाई पड़ सकते हैं।

  • फीवर
  • थकान
  • कमजोरी
  • डायरिया
  • वेट लॉस
  • ओरल यीस्ट इंफेक्शन
  • निमोनिया
  • हार्पीस जोस्टर

 एचसीवी इन्फेक्शन (HCV Infection)

असुरक्षित वजायनल या एनल सेक्स, इंजेक्शन या निडिल शेयर करने से, स्मोकिंग के दौरान इक्युप्मेंट शेयर करने से, संक्रमित खून के चढ़ाए जाने से एचसीवी इन्फेक्शन हो सकता है। प्रेग्नेंट मां से बच्चे को भी हो सकता है। एजसीवी इन्फेक्शन होने पर आमतौर पर लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। एससीवी संक्रमण के सेकेंड स्टेज में पहुंचने से लिवर डैमेज का खतरा बढ़ जाता है। करीब 30 प्रतिशत लोग बिना ट्रीटमेंट के ही ठीक हो जाते हैं। डॉक्टर जांच के साथ ही लिवर बायोस्पी भी कर सकता है। अगर समय पर एचसीवी इन्फेक्शन के बारे में जानकारी मिल जाए, तो बीमारी का इलाज किया जा सकता है।

एचसीवी इन्फेक्शन (HCV Infection) से बचाव

एचसीवी इन्फेक्शन से बचने के लिए सावधानी बहुत जरूरी है। अभी तक इस बीमारी से बचाव के लिए वैक्सीन नहीं बनी है। प्रेग्नेंट महिला से ये इन्फेक्शन बच्चे तक पहुंच सकता है। जिन लोगों को एचसीवी इन्फेक्शन है, उन्हें अपना ब्लड डोनेट नहीं करना चाहिए। टैटू बनवाने से पहले निडिल के बारे में जानकारी लें कि कहीं पहले ये यूज तो नहीं की जा चुकी है। सेफ सेक्स की हेल्प से आप कई बीमारियों से बच सकते हैं।

अन्य STIs और STDs (More STIs and STDs)

यहां हमने आपको सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन और डिजीज के बारे में जानकारी दी। ऐसी ही अन्य बीमारियां भी हैं, जो यौन संक्रमण का कारण बनती हैं। शैंक्रॉइड (chancroid) सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इन्फेक्शन है। जननांग में घाव, वजायनल डिस्चार्ज में बदबू या अधिक वजायनल डिस्चार्ज की समस्या, यूरिनेशन के दौरान जलन की समस्या होती है। शैंक्रॉइड इन्फेक्शन वजायनल सेक्स, एनल सेक्स, स्किन टू स्किन कॉन्टेक्ट आदि माध्यम से फैल सकता है। शैंक्रॉइड इन्फेक्शन का ट्रीटमेंट डॉक्टर एंटीबायोटिक की हेल्प से करते हैं।

प्यूबिक लाइस(Pubic Lice) की समस्या क्रैब्स इंसेक्ट के कारण होती है। क्रैब्स गुप्तांगों के बालों में पैदा होते हैं और खून चूसने के साथ ही जननांग में खुजली और जलन की समस्या पैदा करते हैं। इस बीमारी को प्यूबिक लाइस(Pubic Lice) कहा जाता है। जिन लोगों को सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इन्फेक्शन होता है, उन लोगों में ये बीमारी आम होती है। प्यूबिक लाइस सेक्शुअल एक्टीविटी के दौरान ज्यादा फैलते हैं। ये जननांग में लाल चकत्ते और घाव का कारण बनते हैं। इनसे बचाव के लिए आपको कपड़ों, बेड आदि की हाइजीन का ख्याल रखना होगा। साथ ही जिन लोगों को प्यूबिक लाइस की समस्या है, उनके संपर्क में नहीं आना चाहिए। डॉक्टर इस बीमारी से छुटकारे के लिए आपको लोशन, ओटीसी दवाएं और शैम्पू दे सकते हैं। लोशन को प्रभावित क्षेत्र में लगाएं और दवाओं का पूरा कोर्स करें। सेफ सेक्स आपको बीमारी से बचाने का काम करेगा।

सेक्शुअल हेल्थ से जुड़ी समस्याओं से बचने के लिए अपनाएं ये तरीके

क्लैमाइडिया (chlamydia) से बचाव के लिए बरतें सावधानी

क्लैमाइडिया से बचाव के लिए आपको किसी भी प्रकार के लक्षण दिखने पर डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए। डॉक्टर आपकी जांच करेंगे, साथ ही आपके पार्टनर को भी जांच कराने की सलाह देंगे। डॉक्टर संक्रमण को दूर करने के लिए एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन करने की सलाह देंगे। डॉक्टर पेशेंट को कुछ दिनों तक सेक्स न करने की सलाह भी दे सकते हैं। संक्रमण ठीक हो जाने के बाद डॉक्टर दो से तीन महीने के अंतराल में फिर से टेस्ट कराने की सलाह भी दे सकते हैं।

सिफिलिस (Syphilis) से बचाव के लिए कराएं टेस्ट

सिफिलिस के संक्रमण से छुटकारा पाने के लिए जरूरी है कि सही समय पर इलाज कराया जाए। अगर आपको गुप्तांग में खुजली या फिर यूरिन पास करते समय दिक्कत लगे, तो तुरंत डॉक्टर से जांच कराएं। डॉक्टर गुप्तांग की जांच करेंगे। डॉक्टर टेस्ट के लिए ब्लड टेस्ट की सलाह भी दे सकते हैं। सिफिलिस के संक्रमण से छुटकारे के लिए डॉक्टर आपको कुछ दिनों के लिए दवा खाने की सलाह देंगे। दवा की खुराक को अधूरा न छोड़ें। कंसीव करने से पहले अपनी जांच जरूर कराएं। सेफ सेक्स की हेल्प से आप संक्रमण से बच सकते हैं। आपको सिफिलिस इन्फेक्शन के बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

 गोनोरिया (Gonorrhea) से बचने के लिए लें एंटीबायोटिक्स

अगर आपको गोनोरिया के लक्षण जैसे कि एनल या योनी में खुजली महसूस होती है या फिर यूरिन करते समय दर्द होता है, तो तुरंत डॉक्टर से जांच कराएं। पुरुषों और महिलाओं में एनल ब्लीडिंग भी हो सकती है, जो कि गोनोरिया का लक्षण है। डॉक्टर जांच के लिए सैंपल टेस्ट कर सकते हैं। डॉक्टर यूरिन सैंपल टेस्ट करते हैं। गोनोरिया के इलाज के लिए डॉक्टर एंटीबायोटिक टैबलेट खाने की सलाह देंगे। आपको डॉक्टर की सलाह माननी चाहिए और दवा का पूरा कोर्स करना चाहिए। साथ ही सेक्स के दौरान सावधानी बरतें। ओरल सेक्स को बिना सावधानी के नहीं करना चाहिए।

जेनिटल हर्पीज (Genital Herpes) से बचाव

जेनिटल हर्पीज महिला या पुरुष में होने वाला वायरल इंफेक्शन है। जब भी आपको योनी के आसपास दर्द का एहसास, छाले या फिर चकत्ते का एहसास हो, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए। ये बीमारी तेजी से फैलती है। इस कारण से यूरिन पास करते समय बहुत दर्द भी हो सकता है। डॉक्टर फिजिकल टेस्ट की हेल्प से इस बीमारी की जांच करते हैं। वायरल इन्फेक्शन को ठीक करने के लिए डॉक्टर एंटीवायरल दवा भी देते हैं। डॉक्टर सप्रेसिव थेरिपी या एपिसोडिक थेरिपी भी दे सकते हैं। ये संक्रमण प्रेग्नेंट महिला से बच्चे को भी हो सकता है। अगर यौन संबंध बनाने के दौरान सावधानी रखी जाए, तो यौन संचारित रोगों से बचा जा सकता है।

कॉन्डम का यूज बचाएगा  ट्राइकोमोनिएसिस (Trichomoniasis) से

ट्राइकोमोनिएसिस से बचाव के लिए बीमारी के बारे में पता चलना बहुत जरूरी है। अगर हल्के लक्षण दिखने पर ही महिलाएं या फिर पुरुष जांच करा लेते हैं, तो दवाइयों के माध्यम से इस बीमारी का इलाज किया जा सकता है। डॉक्टर पेल्विक टेस्ट, फ्लूड कल्चर के माध्यम से बीमारी की जांच करते हैं। अगर आपको ट्राइकोमोनिएसिस संक्रमण है, तो डॉक्टर दवाओं के सेवन के साथ ही कुछ सावधानियां रखने की सलाह भी दे सकते हैं। कॉन्डम का उपयोग कर आप खुद के संक्रमण से दूर रख सकते हैं। अगर आपको संक्रमण के लक्षण दिखें, तो अपने पार्टनर की भी जांच कराएं।

पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज (Pelvic Inflammatory Disease) से बचाव के लिए तुरंत कराएं टेस्ट

पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज के लक्षणों के आधार पर डॉक्टर यूरिन टेस्ट, पेल्विक एग्जाम कर सकते हैं। यूरिन टेस्ट और ब्लड टेस्ट के माध्यम से डब्लूबीसी की जांच की जाती है। डॉक्टर अल्ट्रासाउंड और लेप्रोस्कोपी की हेल्प भी ले सकते हैं। संक्रमण को दूर करने के लिए डॉक्टर एंटीबायोटिक का पूरा कोर्स करने की सलाह देंगे। इस बीमारी से बचने के लिए सेक्स के दौरान कॉन्डम का यूज करें। अपने पार्टनर के साथ इमानदार रहें और सेक्स के दौरान सावधानियां जरूर बरतें। इन बातों का ध्यान रख आप इस बीमारी से बच सकते हैं।

एचआईवी या एड्स ( HIV/AIDS) का नहीं है इलाज, रखें सावधानी

अगर आपको एचआईवी के लक्षण दिखाई पड़ते हैं, तो आपको तुरंत डॉक्टर से जांच करानी चाहिए। एचआईवी प्रेग्नेंट मां से बच्चे तक पहुंच सकता है। साथ ही ये वायरस ब्रेस्टफीडिंग से भी बच्चे तक पहुंच सकता है। एचआईवी CD4 T सेल्स को खत्म करने का काम करता है। हमारे शरीर में वाइट ब्लड सेल्स बीमारी से लड़ने का काम करती हैं। एड्स की बीमारी से बचने के लिए असुरक्षित यौन संबंध न बनाएं। उपयोग में लाई गई सुई यानी इंजेक्शन का यूज नहीं करना चाहिए। ब्लड डोनेशन से पहले खून की जांच की जाती है। अगर गलती से संक्रमित व्यक्ति का खून किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को चढ़ा दिया जाता है, तो स्वस्थ्य व्यक्ति को संक्रमण हो सकता है। एचआईवी से बचने के लिए अभी तक कोई वैक्सीन नहीं बनी है। सावधानी ही आपको इस वायरस से बचा सकती है।

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सेक्शुअल हेल्थ से जुड़ी समस्याओं के लिए डायग्नोसिस और टेस्ट्स

ज्यादातर केस में डॉक्टर यौन संचारित रोगों को लक्षणों के आधार पर डायग्नोस नहीं कर पाते हैं। डॉक्टर टेस्ट कराने की सलाह देते हैं। डॉक्टर सेक्शुअल हिस्ट्री के बारे में भी पूछ सकते हैं। कुछ मामलों में तो लोगों को संक्रमण के लक्षण नजर नहीं आते हैं। ऐसे में जांच जरूरी हो जाती है। जानिए यौन संक्रमण को डायग्नोज करने के लिए डॉक्टर कौन से टेस्ट कर सकते हैं।

  • यूरिन टेस्ट
  • ब्लड टेस्ट
  • एचपीवी टेस्ट
  • स्वैब (Swabs)टेस्ट
  • फिजिकल एक्जामिनेशन

डॉक्टर यौन संचारित रोग होने पर पैप स्मीयर भी कर सकते हैं लेकिन ये एसटीआई (STI) टेस्ट नहीं है। पैप स्मीयर सर्वाइकल कैंसर और एनल कैंसर की जांच के लिए किया जाता है। जिन महिलाओं को HPV-16 या HPV-18 इन्फेक्शन होता है, उन्हें सर्वाइकल कैंसर का अधिक खतरा रहता है। डॉक्टर सर्वाइकल कैंसर की जांच के लिए पैप स्मीयर ( Pap smear ) करते हैं। बेहतर होगा कि आप डॉक्टर से अपनी समस्या के बारे में बताएं, वो आपको जरूरी टेस्ट के बारे में जानकारी देंगे।

सेफ सेक्स टिप्स (Safe sex tips) अपनाएं और बीमारियों को दूर भगाएं

सेफ सेक्स आपको कई बीमारियों से बचा सकता है। सुरक्षित सेक्स की जिम्मेदारी किसी एक व्यक्ति की नहीं होती है। अगर आप कुछ नियम बनाएंगे, तो आप सुरक्षित सेक्स का मजा ले सकते हैं। सेफ सेक्स के लिए आपको कुछ बातों को ध्यान में रखना होगा।

  • सेफ सेक्स के लिए कॉन्डोम का यूज जरूर करें। कॉन्डोम का यूज करने से पहले पैकेट में एक्सपायरी डेट जरूर चेक कर लें।
  • नशे में सेक्स करने से बचें। अक्सर लोग नशे में सेफ्टी भूल जाते हैं और अनचाही बीमारियों को गले लगा लेते हैं।
  • सेक्शुअल डिजीज की हिस्ट्री रह चुकी है, तो सेक्स के दौरान रखी जाने वाली सावधानियों के बारे में डॉक्टर से जरूर सलाह लें।
  • सेफ सेक्स की जिम्मेदारी केवल आपकी नहीं बल्कि आपके पार्टनर की भी है। दोनों इस बारे में बात जरूर करें।
  • पार्टनर से सेफ सेक्स के बारे में बात करते वक्त शर्माएं नहीं।

एसटीडी से प्रिवेंशन के लिए इन बातों का रखें ध्यान

  • हर बार सेक्स करते समय लेटेक्स कंडोम का इस्तेमाल करें।
  • अगर आप लुब्रिकेंट का यूज करते हैं, तो ध्यान रखें कि वो वॉटर बेस्ड हो।
  • अंडरक्लोथिंग और टॉवेल को शेयर करने से बचें।
  • इंटरकोर्स करने से पहले और बाद में सफाई जरूर करें।
  • हेपेटाइटिस बी के लिए वैक्सीनेशन जरूर कराएं।
  • शंका होने पर एचआईवी टेस्ट जरूर कराएं।
  • सेक्स से पहले ड्रग्स या एल्कोहॉल का सेवन न करें। सेक्स के दौरान ये खतरनाक हो सकता है।
  • अगर आपको इंफेक्शन के लक्षण दिखें, तो बिना जांच करवाएं सेक्स न करें।

कॉन्ट्रासेप्शन (Contraception) का करें यूज, लापरवाही पड़ सकती है भारी

यौन संचारित रोगों से बचने के लिए एक्सटरनल (मेल) और इंटरनल (फीमेल) कॉन्डम ही बेहतर ऑप्शन है। ये बर्थ कंट्रोल करने के साथ ही सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन से भी बचाने का काम करता है। कॉन्डम का यूज करने से एचआईवी का खतरा करीब 80 प्रतिशत तक कम हो जाता है। वहीं, इंट्रायूटेराइन डिवाइस को सर्विक्स की ओपनिंग में लगाया जाता है। ये भी इन्फेक्शन से बचाने का काम करता है। इसे लगवाने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर करें। कुछ परिस्थितियों में इसे लगवाने की सलाह नहीं दी जाती है। वहीं प्रोजेस्टिन-ओनली बर्थ कंट्रोल भी कुछ सेक्शुअल ट्रांसमिटेड डिजीज से बचाने का काम करती है।

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सेक्शुअल हेल्थ के अनुसार महिलाऐं और पुरुष कैसे अलग-अलग माने जाते हैं?

महिलाओं और पुरुषों की सेक्शुअल हेल्थ में अंतर होता है। महिलाओं और पुरुषों के जननांग अलग होते हैं। सेक्स के दौरान मिलने वाले ऑर्गेज्म, सेक्स के प्रति इच्छा, सेक्स के दौरान दर्द, उत्तेजना न होना आदि में अंतर हो सकता है। जानिए पुरुषों और महिलाओं में होने वाली सेक्शुअल प्रॉब्लम के बारे में।

पुरुषों को होने वाली सेक्शुअल प्रॉब्लम ( Male sexual problems )

पुरुषों को होने वाली सेक्शुअल प्रॉब्लम में निम्न समस्याएं शामिल हैं।

  • प्रीमेच्योर इजैक्युलेशन (Premature ejaculation) की समस्या में पुरुष ऑर्गेज्म को जल्दी प्राप्त कर लेते हैं।
  • डिलेड इजैक्युलेशन (Delayed ejaculation) की समस्या होने पर पुरुषों को ऑर्गेज्म में पहुंचने पर समय लग सकता है।
  • वहीं कुछ पुरुषों की कमेच्छा (Low libido) में कमी आ जाती है।
  • कुछ बीमारियां जैसे कि डायबिटीज या फिर डिप्रेशन सेक्स से संबंधित समस्याएं खड़ी कर सकता है।

  महिलाओं को होने वाली सेक्शुअल प्रॉब्लम ( Women’s sexual problems )

महिलाओं को होने वाली सेक्शुअल प्रॉब्लम में निम्न समस्याएं शामिल हैं।

  • लो सेक्शुअल डिजायर यानी सेक्स के प्रति इच्छा न होना महिलाओं के लिए समस्या खड़ी कर सकता है।
  • कुछ महिलाओं को सेक्स करने की इच्छा तो होती है लेकिन इच्छा अधिक समय तक नहीं रहती है। इसे सेक्शुअल अरोजल डिसऑर्डर (Sexual arousal disorder) कहा जाता है
  • ऑर्गेज्मिक डिसऑर्डर के कारण महिलाओं को चरमसुख का आनंद नहीं मिल पाता है।
  • सेक्शुअल पेन डिसऑर्डर के कारण महिलाओं को सेक्स के समय दर्द का एहसास होता है।
  • एस्ट्रोजन का लेवल कम हो जाने के कारण महिलाओं की सेक्स के प्रति इच्छा कम होने लगती है

सेक्शुअल फिटनेस के लिए एक्सरसाइज (Exercises for sexual fitness )

शरीर को फिट रखने के लिए हर कोई एक्सरसाइज करता है लेकिन क्या आप सेक्शुअल फिटनेट के लिए की जाने वाली एक्सरसाइज के बारे में जानते हैं ? यहां हम आपको पुरुषों और महिलाओं द्वारा की जाने वाली ऐसी ही कुछ एक्सरसाइज के बारे में बताने जा रहे हैं।

महिलाओं की हेल्दी सेक्स लाइफ से लिए जरूरी एक्सरसाइज

महिलाएं कुछ एक्सरसाइज की हेल्प से सेक्शुअल हेल्थ को बेहतर बना सकती हैं। अगर रोजाना आधे से एक घंटे एक्सरसाइज की जाए, तो सेक्स लाइफ को बेहतरीन बनाया जा सकता है। आप दी गई एक्सरसाइज या फिर योग को अपनाने के लिए एक बार एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। एक्ससाइज या फिर योग को करने के सही तरीके के बारे में जानकारी जरूर प्राप्त करें।

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योग बनाएगा सेक्स लाइफ को बेहतर (Yoga)

योग सेक्स की हेल्प से सेक्स से जुड़ी कई तरह की समस्याओं को दूर करने में मदद मिलती है। हर किसी के जीवन में सेक्स से जुड़ी हुई कोई न कोई समस्या जरूर है। महिलाएं अक्सर इस विषय पर बात करने से कतराती हैं। जानिए कौन से योग सेक्स लाइफ को बेहतर बनाने में हेल्प कर सकते हैं।

  • पद्मासन
  • बालासन
  • मार्जरासन योग
  • हलासन
  • सेतुबंधासन

जिन लोगों को सेक्स के प्रति रुचि घट रही है या फिर सेक्स का समय बढ़ाना है, उनके लिए उपरोक्त दिए गए योग फायदेमंद साबित हो सकते हैं।

कीगल एक्सरसाइज (Kegel exercises)

कीगल एक्सरसाइज महिलाओं और पुरुषों की सेक्स लाइफ को सुधारने के लिए बेहतरीन एक्सरसाइज है। कीगल एक्सरसाइज या पेल्विक फ्लोर एक्सरसाइज में कीगल मसल्स को टाइट करना होता है। फिर रेलेक्स के लिए उन्हें कुछ देर छोड़ दें। आप इस प्रोसेस को 10 से 15 बार कर सकते हैं। कीगल एक्सरसाइज मसल्स को स्ट्रेंथ देती है और साथ ही सेक्स के दौरान एक्साइटमेंट को बढ़ाने का काम करता है। महिलाएं डिलिवरी से पहले भी इस एक्सरसाइज की मदद लेती हैं ताकि नॉर्मल डिलिवरी हो सके।

कार्डियोवैस्क्युलर एक्सरसाइज (Cardiovascular exercise)

हेल्दी सेक्शुअल लाइफ के लिए जरूरी है कि आप अपनी बॉडी को फिट रखें। बॉडी को फिट रखने के लिए रनिंग, स्वीमिंग, वॉटर एरोबिक्स, साइकलिंग, बीयर स्क्रॉल आदि कॉर्डियोवस्कुलर एक्सरसाइज कर सकती हैं। अगर आपके पास समय की कमी है, तो आप रोजाना जॉगिंग या वॉ?


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