पीसीओएस यानी कि पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम महिलाओं में आजकल होने वाली सबसे आम समस्याओं में से एक है। वर्तमान समय मे कई महिलाओं में इनफर्टिलिटी और मोटापे का एक कारण पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम की समस्या अधिक देखी जा रही है। पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) से पीड़ित महिलाओं के लिए सबसे ज्यादा समस्या तब हुई जब कोरोना काल में लॉकडाउन लगा दिया गया। लॉकडाउन के दौरान पीसीओएस के साथ जीवन को आसान बनाने के लिए काफी जद्दोजहद पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं को करनी पड़ी। लॉकडाउन में पीसीओएस के साथ ना सिर्फ उनकी लाइफस्टाइल गड़बड़ हुई, बल्कि एक्सरसाइज और खानपान जैसी मुख्य चीजें भी प्रभावित हुईं।
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मुंबई की रहने वाली 32 वर्षीया प्रिया सैनी हाउसवाइफ हैं। इस बारे में वो बताती हैं कि मुझे पिछले एक साल से पीसीओएस की समस्या है। इसे ठीक करने के लिए मैं नियमित रूप से योगा क्लासेस जाती थी, जिससे शरीर की अच्छी कसरत हो जाया करती थी। लेकिन कोरोना महामारी के आने के बाद बाहर निकलना बंद हो गया। वहीं, योगा क्लासेस भी बंद हो गई, जिसके बाद शारीरिक कसरत भी बंद हो गई। लॉकडाउन में पीसीओएस के साथ मुझे परेशानी होने लगी, जिसके बाद मैंने अपने डॉक्टर से फोन पर कंसल्ट किया, तो उन्होंने मुझे अपनी लाइफस्टाइल को सही तरीके से फॉलो करने की सलाह दी। जिसके बाद मैंने घर पर योगा करना और घर के सभी काम खुद ही करना शुरू किया, जिसके बाद से मैं खुद को फिट फील करने लगी।”
लॉकडाउन में पीसीओएस के साथ आप किस तरह से अपने जीवन को आसान बना सकती हैं? इस बात पर दिल्ली के मधुकर रेनबो चिल्ड्रेन्स हॉस्पिटल की प्रसूति और स्त्री रोग विशेषज्ञ व डायरेक्टर डॉ. जयाश्री सुंदर ने काफी विस्तार में बातचीत की है। जिसके बारे में आप इस पूरे लेख में पढ़ेंगे…
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) क्या है?
डॉ. जयाश्री सुंदर के अनुसार, “महिलाओं का प्रजनन तंत्र गर्भाशय (Uterus), फैलोपियन ट्यूब (Fallopian tube) और ओवरी (Ovary) से मिल कर बना होता है। महिलाओं के ओवरी में अंडों का निर्माण होता है, जो ओव्यूलेशन पीरियड में फैलोपियन ट्यूब के जरिए निकल कर गर्भाशय में आता है और स्पर्म के साथ फर्टिलाइज होता है। लेकिन पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) में महिला के ओवरी में अंडे बनने बंद हो जाते हैं, क्योंकि उसकी ओवरी बड़ी हो जाती है। ऐसा हॉर्मोनल असंतुलन के कारण होता है, जिससे ओवरी में सिस्ट बन जाते हैं और ओवरी फॉलिकल्स को विकसित होने से रोकते हैं। जिससे पीरियड्स में असंतुलन होता है और फर्टिलिटी पर असर पड़ता है।”
डॉ. जयाश्री का कहना है कि “पांच में से एक महिला आज पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) की समस्या से जूझ रही है। महिलाओं में हॉर्मोनल डिसबैलेंस के कारण ओवरी का बड़ा होना और उसमें सिस्ट के बनने जैसी प्रक्रिया होती है। एम्स (AIIMS) के एंडोक्राइनोलॉजी और मेटाबॉलिज्म डिपार्टमेंट के द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि 20 से 25 प्रतिशत भारतीय महिलाएं मां बनने के उम्र में पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) से परेशान होती है। वहीं, 60 फीसदी महिलाएं मोटापे के साथ पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) का शिकार हो जाती हैं, इसके अलावा पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) से ग्रसित 35 से 50 प्रतिशत महिलाएं फैटी लिवर से पीड़ित होती हैं।”
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पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) के लक्षण क्या हैं?
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) में निम्न लक्षण देखने को मिल सकते हैं:
सभी महिलाओं में पीसीओएस के लक्षण अलग-अलग दिखाई देते हैं। पीसीओएस के लक्षणों की अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकती हैं।
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कोरोना और लॉकडाउन के समय पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) के मरीज कैसे प्रभावित हुए हैं?
लॉकडाउन में पीसीओएस से परेशान मरीज मुख्य रूप से चार तरह से प्रभावित हुए हैं, जिसमें सबसे मुख्य है खराब जीवनशैली। आइए जानते हैं कि कोरोना में पीसीओएस किस तरह से महिलाओं के जीवन को प्रभावित कर रहा है:
दिनचर्या का तय ना होना
डॉ. जयाश्री का कहना है कि “कोरोना के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए सरकार ने लॉकडाउन लगा दिया। जिसके बाद सभी की दिनचर्या पूरी तरह से प्रभावित हो गई। महिलाओं के ना सोने का सही वक्त है और ना ही उठने का, जिससे हॉर्मोनल असंतुलन होना एक सामान्य बात है। इसके अलावा लॉकडाउन के दौरान पूरा परिवार एक साथघर पर होने के कारण तरह-तरह के भोजन बनना और उसमें जंक और फास्ट फूड का भी शामिल होना पीसीओएस को बढ़ावा देने के लिए काफी था।”
गतिहीन जीवनशैली
डॉ. जयाश्री ने बताया कि “लॉकडाउन में घर से बाहर निकलने पर पूरी तरह मनाही थी। जिसके बाद जो हम थोड़ा बहुत ऑफिस जाने के बहाने या बाजार जाने के बहाने चलते-फिरते थे, वो भी बंद हो गया। एक तरह से हमारी लाइफस्टाइल पूरी तरह से गतिहीन हो गई। ये महिलाओं में मोटापे का एक प्रमुख कारण बन गया। जिससे हॉर्मोनल असंतुलन होना और पीसीओएस की समस्या बढ़ी है।”
चिकित्सीय मदद लेने में परेशानी होना
डॉ. जयाश्री का कहना है कि “कोरोना महामारी के फैलने के कारण लोगों को हॉस्पिटल में आने पर रोक लग गई। सिर्फ गंभीर स्वास्थ्य समस्या से ग्रसित लोग ही हॉस्पिटल जाते थे। जिससे लॉकडाउन में पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं के लिए चिकित्सीय मदद या डॉक्टर की सलाह लेने में परेशानी होने लगी।”
लॉकडाउन में पीसीओएस की रोकथाम किस तरह से करें?
डॉ. जयाश्री का कहना है कि “लॉकडाउन में पीसीओएस की रोकथाम करने के लिए आपको खुद से वादा करना होगा कि आप अपनी लाइफस्टाइल को सुधारेंगी। क्योंकि किसी भी स्वास्थ्य समस्या को बढ़ावा देने के लिए सबसे ज्यादा एक खराब लाइफस्टाइल जिम्मेदार होती है। इसलिए पहले लाइफस्टाइल सुधारें, फिर इलाज की बारी आती है।”
लॉकडाउन में पीसीओएस के लिए लाइफस्टाइल कैसे सुधारें?
लॉकडाउन में जो एक सबसे खराब आदत पड़ी है, वो है कभी भी सोने और कभी भी खाने की। कभी भी सोने और कभी भी खाने से स्वास्थ्य समस्या होना जाहिर सी बात है। लाइफस्टाइल को बदलने से यूट्राइन कैसंर और डायबिटीज होने का रिस्क भी कम हो जाएगा।
ऐसे में सुबह उठने से लेकर शाम को सोने तक अपनी एक दिनचर्या तय करें। उदाहरण के तौर पर, आप सुबह 6 बजे उठ जाएं और एक गिलास पानी पिएं। इसके बाद आप फ्रेश हो कर कम से कम 20 मिनट के लिए एक्सरसाइज करें। अपना नाश्ता 8 से 8.30 के बीच में खत्म कर लें। इसके बाद 11 बजे के करीब कोई भी फल खाएं। आप 12.30 से 1.30 बजे के बीच में अपना लंच कर लें। लंच करने के बाद कुछ एक्टिविटी करें, जैसे टहलें या सीढ़ियां चढ़ें। इसके बाद शाम 5 बजे स्नैक्स में ग्रीन टी या ब्लैक कॉफी ले सकती हैं। इसके बाद आप अपना डिनर 7.30 से 8.30 के बीच में पूरा कर लें। डिनर करने के बाद कम से कम 10 से 15 मिनट तक टहलें। फिर रात में 10 बजे तक सो जाएंं। इससे आपकी 8 घंटे की नींद भी पूरी हो जाएगी और आप हेल्दी लाइफ स्टाइल को भी फॉलो कर सकेंगी।
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पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) के लक्षणों के आधार पर कराएं इलाज
डॉ. जयाश्री के अनुसार, “पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) के लक्षण सामने आने के बाद आप सबसे पहले इसका इलाज कराएं। लेकिन अगर आप उन्हें नजरअंदाज करेंगे तो आपकी समस्या और अधिक बढ़ सकती है। उदाहरण के लिए अगर आपके पीरियड्स अनियमित हो गए हैं तो आप उसके लिए डॉक्टर से संपर्क करें और पीरियड को नियमित करें। वहीं अगर हॉर्मोनल असंतुलन के कारण आपके त्वचा पर अनचाहे बाल आ रहे हैं तो उसके लिए ब्यूटीशियन के पास जाने से पहले अपने डॉक्टर से संपर्क करें।”
वजन नियंत्रित करें
डॉ. जयाश्री के अनुसार, “लॉकडाउन में पीसीओएस का एक सबसे मुख्य कारण बढ़ा हुआ वजन भी रहा है। पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) के लक्षणों में वजन बढ़ना प्रमुख है। ऐसे में आप अपना वजन नियंत्रित कर के पीसीओएस के लक्षणों से राहत पा सकती है। साथ ही बेबी कंसीव भी कर सकती हैं। आपको सिर्फ जरूरत है तो कुछ प्रकार के एक्सरसाइज करने की और एक वेट लॉस डायट फॉलो करने की।”
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आप वजन कम करने के लिए निम्न एक्सरसाइज कर सकते हैं :
1) एरोबिक्स
वजन कम करने में एरोबिक्स बहुत फायदेमंद होता है। एरोबिक्स करने पर मांसपेशियों में मजबूती आती है और शरीर में जमा चर्बी कम हो कर शरीर को सुडौल बनाने में मदद करती है। आप एरोबिक्स में निम्न चीजें कर सकते हैं:
- जॉगिंग- मॉर्निंग वॉक की बात आते ही जॉगिंग जरूर याद आता है। अगर आपको हल्की दौड़ लगाने में कोई समस्या नहीं है तो इंतजार ना करें, अपने जूते का लेस बांधें और जॉगिंग करना शुरू करें। अगर आपके पास जॉगिंग की सही जगह नहीं है तो ट्रेड मिल पर भी दौड़ लगा सकते हैं।
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2) योगा
योग भारत के द्वारा विश्व को दी गई सबसे अनमोल भेंट है। लॉकडाउन में पीसीओएस से राहत पाने के लिए आप योगासन को कर सकती है, क्योंकि आयुर्वेद का मानना है कि योग करने से पूरे शरीर की समस्या का समाधान होता है। ऐसे में आप लॉकडाउन में पीसीओएस से राहत पाने के लिए योग कर सकते हैं। आइए जानते हैं कि आप पीसीओएस से राहत पाने के लिए कौन से योगासन कर सकते हैं?
- बद्धकोणासन- इस योगासन में आप जमीन पर आराम से बैठ जाएं और अपने पैरों के पंजे को आपस में मिला लें। इसे बटरफ्लाई पोजिशन कहते हैं। इस स्थिति में गहरी सांस लें और छोड़ें। इसी स्थिति में 30 से 60 सेकेंड तक रुकें।
- कपालभाति- यह योगासन बहुत प्रचलित है। इसके लिए आपको आराम से जमीन पर बैठ जाना होता है और इसके बाद अपने हाथों को दोनों घुटनों पर रखें। लंबी सांस लें और थोड़ा-थोड़ा कर के छोड़ें। इस प्रक्रिया को कम से कम 10 बार दोहराएं। इससे आपके शरीर में ऑक्सीजन की सप्लाई अच्छे तरीके से होगी।
- सुप्त बद्धकोणासन- ये बद्धकोणासन जैसा ही होता है। इसमें आपको जमीन पर आराम से बैठना होता है। फिर इसके बाद आप अपने पैरों के तलवों को मिला कर बैठ जाएं। इसके बाद पैरों के तलवे को एक दूसरे से टच होते रहने दें और पीठ के बल लेट जाएं। इससे आपके गर्भाशय से संबंधित सभी तरह की समस्या में राहत मिलती है।
- भारद्वाजासन- इस योगासन में आप अपने पैरों को हिप के साइड में कर के बैठ जाएं। इसके बाद अगर आपने पैरों को दाएं तरफ की हिप्स के पास रखा है तो आप अपने कमर के ऊपरी हिस्से को बाएं तरफ मुड़ा दें, जिससे आपका शरीर देखने में पूरी तरह से ट्विस्ट लगेगा। इस स्थिति में कम से कम 30 से 60 सेकेंड तक रहें। फिर ऐसा ही दूसरे तरफ भी करें।
- चक्की चलानासान- जैसा कि नाम से ही साफ है कि इस योगासन में आपको चक्की चलाना है। इसके लिए आप अपने दोनों पैरों को सीधे आगे की तरफ फैला कर बैठ जाएं। अपने कमर को सीधा रखें, इसके बाद दोनों हथेलियों को मिला कर मुट्ठी बनाएं और चक्की चलाने के अंदाज में आगे से पीछे की तरफ आएं, फिर से आगे जाएं। इस तरह से दो से पांच मिनट तक कर सकते हैं।
3) डांस करें
आजकल जुंबा डांस काफी प्रसिद्ध एक्सरसाइज है। इसके अलावा आप जो भी डांस चाहें कर सकते हैं। इसके लिए आप ऑनलाइन गानें लगा कर या वीडियो देख कर डांस कर सकती हैं। लॉकडाउन में पीसीओएस के साथ आप घर ही डांस कर सकते हैं। डांस करने से भी वेट लॉस में काफी मदद मिलती है।
4) जिम करना
वजन कम करने के लिए आप जिम करने जाने की सोच रही हैं, अच्छी बात है। लेकिन जिम जाने से पहले आप अपने डॉक्टर से जरूर बात कर लें। जिम में ट्रेनर की मदद से ही वेट लॉस या एक्सरसाइज करें।
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लॉकडाउन में पीसीओएस के लिए डायट कैसी होनी चाहिए?
लॉकडाउन में पीसीओएस के लिए डायट पर विशेष ध्यान रखना चाहिए,क्योंकि पीसीओएस से ग्रसित महिला में शरीर की कोशिकाओं के द्वारा इंसुलिन हॉर्मोन का इस्तेमाल करना बाधित हो जाता है। इसके लिए आपको अपनी डायट में क्या खाना है क्या नहीं खाना है, इस बात की जानकारी आपको होनी चाहिए। आइए जानते हैं कि आप पीसीओएस डायट में क्या खा सकते हैं और क्या नहीं?
पीसीओएस में कौन सी डायट लेनी चाहिए?
पीसीओएस में आप तीन डायट ले सकते हैं, जो पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) के लक्षणों में राहत पहुंचाने में मदद करेंगे:
1) लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) डायट-लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) डायट लेने से ब्लड ग्लूकोज का लेवल नियंत्रित रहेगा। लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) डायट में शामिल किए गए फूड्स का ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) कम होता है। जो धीरे-धीरे पचता है। जिससे ब्लड का शुगर लेवल नियंत्रित रहता है। लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) डायट में संपूर्ण अनाज, फलियां, नट्स, स्टार्चयुक्त सब्जियां, लो कार्बोहाइड्रेट फूड आदि शामिल होता है।
2) डैश डायट (DASH Diet)-डैश डायट (DASH Diet) का पूरा नाम है– डायट्री अप्रोच टू स्टॉप हाइपरटेंशन (DASH)। जिसे डॉक्टर्स पीसीओएस की समस्या में लेने की सलाह देते हैं। डैश डायट (DASH Diet) में मछलियां, चिकन, अंडे, फल, सब्जियां और संपूर्ण अनाज को शामिल किया जाता है।
3) एंटी-इंफ्लमेटरी डायट- एंटी-इंफ्लमेटरी डायट में ऐसे फूड्स को शामिल किया जाता है, जो शरीर से इंफ्लमेशन को कम करते हैं। एंटी-इंफ्लमेटरी डायट में बेरीज, फैटी फिश, हरी पत्तेदार सब्जियां और वर्जिन ऑलिव ऑयल को शामिल किया जाता है।
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पीसीओएस में क्या खाना चाहिए?
पीसीओएस में आप निम्न चीजें खा सकते हैं:
- हाई फाइबर फूड्स
- फैटी फिश, जैसे- सैलमन, टूना आदि
- प्राकृतिक बिना प्रॉसेस किए हुए फल
- हरी पत्तेदार सब्जियां, जैसे- पालक, केल, सलाद पत्ता आदि
- बेरीज, जैसे- स्ट्रॉबेरी, ब्लूबेरी, चेरी, लाल अंगूर आदि
- ब्रोकली
- फूलगोभी
- बीन्स
- दालें
- गुड फैट, जैसे- ऑलिव ऑयल, एवोकैडो, नारियल आदि
- नट्स, जैसे- अखरोट, बादाम, पिस्ता आदि
- मसाले, जैसे- हल्दी और दालचीनी
पीसीओएस में क्या नहीं खाना चाहिए?
लॉकडाउन में पीसीओएस में आप भूल कर भी निम्न चीजों का सेवन ना करें, नहीं तो आपकी स्थिति और ज्यादा खराब हो सकती है:
- फ्राइड फूड्स, जैसे- फास्ट फूड्स का सेवन पीसीओएस में ना करें।
- रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट या मैदा से बनी चीजों का सेवन ना करें, जैसे- पेस्ट्री और व्हाइट ब्रेड।
- मीठे पेय पदार्थ का सेवन ना करें, जैसे- एनर्जी ड्रिंक, सॉफ्ट ड्रिंक और सोडा आदि।
- प्रोसेस्ड फूड्स का सेवन ना करें, जैसे- फिंगर चिप्स, हॉट डॉग, सॉसेजेस आदि।
- ज्यादा मात्रा में रेड मीट का सेवन ना करें।
- सॉलिड फैट का सेवन ना करें।
पीसीओएस के साथ क्या स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं?
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) के साथ कुछ अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं, जिसके बारे में आपको समझना और जानना बहुत जरूरी है:
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