इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज यानी डाइजेस्टिव सिस्टम में सूजन की वजह से डायजेशन की समस्या होती है। इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज में मुख्य रूप से दो शारीरिक समस्याएं शामिल हैं; अल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative colitis) और क्रोहन रोग (Crohn’s disease)। अगर आपको आईबीडी है, तो आप जानते होंगे कि कभी-कभी यह समस्या बदतर हो जाती है। यह अक्सर इस बात पर निर्भर करता है कि आपने क्या खाया है? क्रोहन एंड कोलाइटिस फाउंडेशन ऑफ अमेरिका का कहना है कि सूजन पैदा करने के लिए आहार एक प्रमुख कारक नहीं है। हालांकि, कुछ लोग खाने से संबंधित समस्याओं का अनुभव करते हैं। इसलिए आपकी यह समस्या ट्रिगर न करे, इसके लिए आपको स्मार्ट तरीके से अल्सरेटिव कोलाइटिस डाइट प्लान बनाना चाहिए। इसमें ऐसे फूड्स शामिल करें, जिनका सेवन आपकी समस्या या लक्षण को कम कर सके। इस लेख में अल्सरेटिव कोलाइटिस डाइट में क्या शामिल करना चाहिए और क्या नहीं? इस बारे में ही बताया जा रहा है।
अल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative Colitis) क्या है?
अल्सरेटिव कोलाइटिस एक हेल्थ कंडीशन है जो डाइजेस्टिव सिस्टम की बड़ी आंत को प्रभावित करती है। इसमें आंतों में इर्रिटेशन (जलन) होने की वजह से पाचन तंत्र की अपर लेयर अल्सर का रूप ले लेती है। स्थिति खराब होने पर कभी-कभी अल्सर में पस की समस्या भी शुरू हो जाती है और ब्लीडिंग होने लगती है। 15 से 35 वर्ष की उम्र के लोगों में यह समस्या ज्यादा देखने को मिलती है।
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अल्सरेटिव कोलाइटिस के लक्षण क्या हैं?
वैसे तो अल्सरेटिव कोलाइटिस के लक्षण हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं। इसके कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं-
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अल्सरेटिव कोलाइटिस डायट : क्या खाएं?
किसी व्यक्ति के आहार में किसी भी हेल्थ कंडीशन को ट्रिगर करने की संभावना हो सकती है। इसलिए अल्सरेटिव कोलाइटिस वाले व्यक्ति को यह जानना जरूरी है कि उसके लिए कौन-से खाद्य पदार्थ अच्छे हैं और किन्हें उन्हें खाने से बचना चाहिए? लक्षणों को ट्रिगर करने वाले खाद्य पदार्थ व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न होंगे। अल्सरेटिव कोलाइटिस वाले लोगों को ऐसे खाद्य पदार्थ खाने चाहिए जो पोटेशियम, फोलेट, मैग्नीशियम, कैल्शियम और आयरन की एक महत्वपूर्ण मात्रा प्रदान करते हैं। अल्सरेटिव कोलाइटिस डाइट में शामिल हैं –
अल्सरेटिव कोलाइटिस डाइट में सैल्मन
सैल्मन ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर है जिसके अनेक स्वास्थ्य लाभ हैं।
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अल्सरेटिव कोलाइटिस डायट : कुछ फर्मेंटेड खाद्य पदार्थ
इनमें योगर्ट शामिल हैं, जिसमें एक्टिव प्रोबायोटिक्स होते हैं। इसमें मौजूद गुड बैक्टीरिया पाचन को सुधारने में मददगार साबित होते हैं। कुछ अध्ययनों से पता चला है कि प्रोबायोटिक्स के नियमित उपयोग से अल्सरेटिव कोलाइटिस के लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है।
अल्सरेटिव कोलाइटिस डायट में अंडे
ये ओमेगा-3 सप्लीमेंटेशन सहित कई आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करते हैं। आम तौर पर इन्हें पचाना आसान होता है। इसलिए इन्हें अल्सरेटिव कोलाइटिस डाइट प्लान का हिस्सा बनाया जा सकता है।
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अल्सरेटिव कोलाइटिस डायट में शामिल करें बहुत सारे तरल पदार्थ
अल्सरेटिव कोलाइटिस जैसी स्थितियों वाले लोगों को अतिरिक्त तरल पदार्थ लेने की आवश्यकता हो सकती है, क्योंकि डायरिया से डिहाइड्रेशन हो सकता है।
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अल्सरेटिव कोलाइटिस डायट : क्या न खाएं?
हाई फाइबर फूड्स
हाई फाइबर आहार, अल्सरेटिव कोलाइटिस से ग्रस्त रोगी के लिए अच्छा ऑप्शन नहीं है। यह डायजेशन की समस्या को और खराब कर सकता है। आपको होल ग्रेन आटे से बने भोजन को खाने से बचना चाहिए। गोभी, कच्ची सब्जियां, ब्रोकली और साबुत अनाज से दूर रहें। इनकी जगह लो फाइबर फूड्स को लिया जा सकता है।
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कैफीन
हालांकि, अल्सरेटिव कोलाइटिस के लक्षणों पर कैफीन के प्रभाव पर बहुत अधिक डेटा उपलब्ध नहीं है। फिर भी 2013 में 442 लोगों पर हुए सर्वेक्षण में पाया गया कि कैफीन के इस्तेमाल से 22% व्यक्तियों में अल्सरेटिव कोलाइटिस के लक्षण और खराब हो सकते हैं। कॉफी, चाय, सोडा और चॉकलेट का इस्तेमाल कम या न करना ही आपके लिए बेहतर होगा।
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डेयरी प्रोडक्ट्स
हालांकि सभी अल्सरेटिव कोलाइटिस पेशेंट्स के लिए डेयरी प्रोडक्ट्स एक समस्या नहीं बनते हैं। लेकिन कुछ लोगों में डेयरी उत्पाद लक्षणों को ट्रिगर कर सकते हैं। जिन लोगों को भी लैक्टोज इन्टॉलरेंस है, उन्हें डेयरी प्रोडक्ट्स से बचना चाहिए।
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कार्बोनेटेड पेय
कुछ सोडा और बियर में कार्बोनेशन होता है जो पाचन तंत्र को परेशान कर सकता है और गैस का कारण बन सकता है। कई कार्बोनेटेड पेय में चीनी, कैफीन या आर्टिफीशियल स्वीटनर्स होते हैं, जो लक्षणों को ट्रिगर कर सकते हैं।
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आलू
इनमें ग्लाइकोकलॉइड होते हैं, जो आंत की कोशिका झिल्ली को बाधित कर सकते हैं। बेक्ड या बॉयल्ड आलू की तुलना में फ्राइड पोटैटो या चिप्स में इसकी मात्रा अधिक पाई जाती है।
खाद्य पदार्थ जिनमें सल्फर या सल्फाइट होते हैं
यह मिनरल एक व्यक्ति में अतिरिक्त गैस का उत्पादन कर सकता है। इसमें कुछ खाद्य पदार्थ बीयर, वाइन, बादाम, सोया, गेहूं पास्ता, ब्रेड, मूंगफली, किशमिश और कुछ प्रकार के मीट्स शामिल हैं।
फ्रुक्टोज शुगर
शरीर फ्रुक्टोज की उच्च मात्रा को अच्छी तरह से अवशोषित नहीं करता है, जिससे गैस, ऐंठन और दस्त बढ़ सकता है। हाई फ्रुक्टोज कॉर्न सिरप, फलों का रस, शहद और गुड़ जैसे पदार्थों के लिए लेबल की जांच करें, क्योंकि इन सभी में फ़्रुक्टोज होता है।
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सब्जियां
सब्जियां अक्सर फाइबर में उच्च होती हैं। जो अल्सरेटिव कोलाइटिस के लक्षणों को बदतर बना सकती हैं। नतीजन, डाइजेशन में मुश्किल हो सकती है, जिससे सूजन, गैस और पेट में ऐंठन हो सकती है। गोभी, ब्रसेल्स स्प्राउट्स और ब्रोकली को अपनी अल्सरेटिव कोलाइटिस डायट प्लान से दूर रखें। अल्सरेटिव कोलाइटिस वाले लोग कच्ची सब्जियों की तुलना में पकी हुई सब्जियों को बेहतर तरीके से पचा सकते हैं।
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मसालेदार भोजन
अल्सरेटिव कोलाइटिस वाले लोगों के लिए, गर्म और मसालेदार भोजन स्थिति को और खराब कर सकता है। इसलिए अल्सरेटिव कोलाइटिस डायट में इन्हें अवॉयड करें।
ग्लूटेन
यह गेहूं, राई और जौ का एक कंपोनेंट है। यह कभी-कभी अल्सरेटिव कोलाइटिस (ulcerative colitis) में लक्षणों को ट्रिगर कर सकता है। हालांकि, राई में ग्लूटेन नहीं होता है, लेकिन उसमें ग्लूटेन की सामान प्रॉपर्टीज वाला प्रोटीन होता है जो ग्लूटेन सेंसिटिव लोगों में क्रॉस-रिएक्ट कर सकता है।
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डाइटरी इमल्सीफायर
इनमें कार्बोक्सिमिथाइलसेलुलोज (carboxymethylcellulose) और पॉलीसोर्बेट-80 (polysorbate-80) शामिल हैं, जो कई प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों में पाए जाते हैं और लक्षणों को बदतर बना सकते हैं।
इस तरह से अल्सरेटिव कोलाइटिस से ग्रस्त लोग अपने लक्षणों को मैनेज करने के आहार में ऊपर बताए गए बदलाव कर सकते हैं।
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