पुराने जमाने में लोग जंक फूड और फास्ट फूड नहीं खाते थे। खाना भी ताजा और गर्म ही खाते थे। उनके भोजन में ताजे फल और सब्जियां शामिल रहती थीं और यही वजह है कि वे स्वस्थ रहते थे। यही नहीं, वे आज के लोगों की तुलना में कम बीमार पड़ते थे। यदि आप भी पूरी तरह से स्वस्थ रहना चाहते हैं, तो आयुर्वेदिक डायट प्लान को फॉलो करना चाहिए। इसका मकसद सिर्फ वजन कम करना नहीं होता, बल्कि आपके संपूर्ण स्वास्थ्य का ख्याल रखना होता है।
क्या है आयुर्वेदिक डायट प्लान?
आयुर्वेदिक डायट प्लान एक ईटिंग प्लान है, जिसमें क्या खाना चाहिए, कब खाना चाहिए, कैसे भोजन करना चाहिए, इसके बारे में बताया जाता है। ताकि आप स्वस्थ रहें और बीमारियों से बचे रहे। आयुर्वेदिक डायट अन्य डायट प्लान से अलग है, क्योंकि इसमें सिर्फ वजन कम करने पर फोकस करने की बजाय आपके संपूर्ण स्वास्थ्य का ध्यान रखा जाता है। जैसे कि खाते समय आप कोई अन्य काम न करें और खुश दिल से भोजन करें, जिसे माइंडफुल ईटिंग कहा जाता है। यदि आप सही तरीके से आयुर्वेदिक डायट को फॉलो करेंगे, तो पूरी तरह से स्वस्थ रहेंगे और वजन भी हेल्दी रहेगा।
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तीन दोषों पर आधारित है आयुर्वेदिक डायट प्लान
आयुर्वेदिक डायट प्लान शरीर के तीन दोषों के आधार पर तय किया जाता है, जैसे वात, पित्त और कफ। किसी व्यक्ति का शरीर वात प्रधान है या पित्त उसके आधार पर ही डायट तय की जाती है। अलग-अलग दोष के हिसाब से उन्हें क्या खाना चाहिए और क्या नहीं इस बारे में बताया जाता है।
आयुर्वेदिक डायट प्लान में निम्न चीजें शामिल होती हैं
- हर भोजन में 6 तरह के रस या स्वाद को शामिल करना। जैसे मीठा, नमकीन, खट्टा, कड़वा, तीखा और कसैला स्वाद वाली चीजें हर भोजन में थोड़ी मात्रा में होनी चाहिए। यानी एक तरह से यह संतुलित आहार।
- भोजन की शुरुआत हमेशा मीठी चीज से करें जैसे कोई मीठा फल।
- उसके बाद नमकीन चीज खाएं और फिर खट्टी चीज। उसके बाद तीखा, कसैला और कड़वी स्वाद वाली चीजें खाएं।
- आयुर्वेद में माइंडफुल ईटिंग पर जोर दिया जाता है। जिसका मतलब है कि खाते समय आपको ध्यान सिर्फ भोजन पर ही रहना चाहिए, किसी अन्य चीज पर नहीं। यानी भोजन करते समय बात करने, हंसने या कोई दूसरा काम जैसे मोबाइल/टीवी आदि देखने की मनाही होती है। इससे भोजन का पूरा फायदा शरीर को मिलता है।
- खाना कभी भी जल्दबाजी में न खाएं। इसे आराम से चबाकर खाएं, ताकि उसका पूरा स्वाद आपको मिले।
- खाना हमेशा गर्म और ताजा ही खाएं। खाने को आराम से चबाकर खाना चाहिए, लेकिन इतना भी आराम से न खाएं कि भोजन पूरी तरह से ठंडा हो जाए।
- हर व्यक्ति का शरीर एक जैसा नहीं होता है, इसलिए उनकी भोजन की जरूरत भी अलग होती है। हर किसी को अपनी भूख के हिसाब से ही खाना चाहिए और पेट भरने का एहसास होते ही खाना बंद कर देना चाहिए, इससे ओवरइटिंग से बचा जा सकता है।
- अगला भोजन तभी करें जब पहले किया गया भोजन अच्छी तरह से पच गया हो। आयुर्वेदिक डायट के दिशा-निर्देशों के मुताबिक, एक बार भोजन करने के बाद कम से कम तीन घंटे बाद ही दोबारा खाना चाहिए, लेकिन लगातार 6 घंटे तक बिना भोजन के न रहें।
- आयुर्वेदिक डायट में नाश्ते और दोपहर के खाने पर अधिक ध्यान दिया जाता है। आयुर्वेद विशेषज्ञ अच्छा नाश्ता और दोपहर में संतुष्टि प्रदान करने वाला भोजन करने की सलाह देते हैं। रात का भोजन करना चाहिए या नहीं यह व्यक्ति के भूख के स्तर पर निर्भर करता है।
- पानी खूब पीना चाहिए, क्योंकि यह शरीर से हानिकारक टॉक्सिन को बाहर निकालने में मदद करता है।
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आयुर्वेदिक डायट प्लान के फायदे
आयुर्वेदिक डायट प्लान के निम्न फायदे हो सकते हैं।
सूंपर्ण खाद्य पदार्थ पर फोकस
कई आयुर्वेदिक चिकित्सक अपने छात्रों को स्थानीय चीजें खाने की ही सलाह देते हैं। कुछ लोगों को यह सलाह अजीब लग सकती है, लेकिन इसका मकसद छात्रों को स्वस्थ रखना है। स्थानीय खाद्य पदार्थ अनप्रोसेस्ड और शुद्ध होते हैं, इसे अधिक खाने से मतलब है कि व्यक्ति प्रोसेस्ड फूड से दूर रहेगा।
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माइंडफुल ईटिंग
आयुर्वेद में भोजन को मन और शरीर दोनों से जोड़ा जाता है। भोजन करते समय उसके स्वाद पर ध्यान केंद्रित करने के साथ ही अपने शरीर के संकेतों को समझना ही माइंडफुलनेस है। यानी जब भूख हो तभी खाएं और पेट भर जाने पर रुक जाएं।
वजन कम हो सकता है
चूंकि आर्युवेदिक डायट में संपूर्ण आहार पर फोकस किया जाता है, जिससे वजन कम होने की संभावना रहती है। हालांकि इस संबंध में अभी बहुत रिसर्च नहीं की गई है। 200 लोगों पर किए एक अध्ययन के मुताबिक, कफ और पित्त दोष वाले व्यक्तियों ने 3 महीने तक आयुर्वेदिक डायट फॉलो की और उनका वजन काफी कम हो गया। जाहिर सी बात है जब आप जंक/फास्ट फूड और तली चीजों से दूर रहते हैं और भूख के हिसाब से ही खाते हैं, तो शरीर में अतिरिक्त फैट नहीं बनता है।
आयुर्वेदिक डायट प्लान की चुनौतियां
आयुर्वेदिक डायट प्लान वैसे तो शरीर के लिए बहुत अच्छा है, लेकिन प्रैक्टिकली इसे फॉलो करना थोड़ा मुश्किल काम है:
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भ्रमित करने वाला
आयुर्वेदिक डायट प्लान आपको थोड़ा कंफ्यूज कर सकता है और इसे फॉलो करना थोड़ा मुश्किल लग सकता है। प्रत्येक दोष के लिए न सिर्फ खाद्य पदार्थों की अलग सूची है, बल्कि अतिरिक्त नियम भी है। जैसे कि खाना और न खाने वाले खाद्य पदार्थों की सूची पूरे साल मौसम के हिसाब से बदलती रहती है। साथ ही इसमें कब, कितना और कितनी बार खाना है इसका भी नियम है। जो पहली बार डायटिंग करने वालों को बहुत चुनौतीपूर्ण लग सकता है।
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बहुत अधिक प्रतिबंध
दोषों के हिसाब से आयुर्वेद में खाद्य पदार्थों की सूची तैयार की जाती है कि क्या खाना है और क्या नहीं। सूची में दी गई चीजों को आप किसी से रिप्लेस भी नहीं कर सकते, ऐसे में लोगों को इतना अधिक प्रतिबंध रास नहीं आता या उनके लिए लंबे समय तक इसका पालन करना मुश्किल हो जाता है।
संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए दुनिया में कई जगह लोग आयुर्वेदिक डायट प्लान फॉलो कर रहे हैं, बस इसके लिए बहुत धैर्य और निरंतरता की जरूरत होती है। फूडी लोगों के लिए इस डायट टिप्स को अपनाना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि इसमें दोष के हिसाब से खाद्य पदार्थों की जो सूची तैयार की जाती है, उसे ही अपनाना होता है और उसमें बदलाव संभव नहीं है। तो आप यदि अपने स्वाद और खाने-पीने की आदतों से थोड़ा समझौता करके खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से फिट रखना चाहते हैं तो आयुर्वेदिक डायट अपना सकते हैं।
उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और आयुर्वेदिक डायट प्लान के बारे में जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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